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Showing posts from July, 2020

हज़रत लूत व इब्राहीम अलैहि सलाम

Content हज़रत लूत व इब्राहीम अलैहि सलाम मिस्र से वापसी कौमे लूत हज़रत लूत और तब्लीगे हक हजरत इब्राहीम और अल्लाह के फ़रिश्ते ۞  बिस्मिल्लाहिररहमानिरहीम  ۞ हज़रत लूत व इब्राहीम अलैहि सलाम: हजरत लूत हज़रत इब्राहीम अलैहि सलाम के भतीजे हैं और उनका बचपन हज़रत इब्राहीम ही की निगरानी में गुजरा और उनकी नशरोनुमा हजरत इब्राहीम ही व तर्बियत में हुई। मिस्र से वापसी: हज़रत लूत अलैहि सलाम और उनकी बीवी हजरत इब्राहीम की हिजरत मे हमेशा उनके साथ रहे हैं और जब हजरत इब्राहीम मिस्र में थे, तो उस वक्त भी यह हमसफ़र थे। मिस्र से वापसी पर हजरत इब्राहीम फ़लस्तीन में आबाद हुए और हजरत लूत ने शर्के उर्दुन के इलाके में सुकूनत अख्तियार की। इस इलाके में दो मशहूर बस्तियां  सदूम  और  आमूरा  थीं। कौमे लूत: हज़रत लूत अलैहि सलाम ने जब शर्के उर्दुन (ट्रांस जॉर्डन) के इलाके में सदूम आ कर कियाम किया तो देखा कि यहां बाशिंदे फ़वाहिश और मासियतों में इतने पड़े हुए हैं कि दुनिया में कोई बुराई ऐसी न थी जो उनमें मौजूद न हो। दूसरे ऐबों और फहश कामों के अलावा यह क़ौम एक ख़बीस अमल में मुब्तेला थी, यानी ...

Gaush paak ki karamat

अब्दुल क़ादिर जीलानी मुहम्मद अब्दल क़ादिर जीलानी अल-हसनी वल-हुसैनी (जन्म: 11 रबी उस-सानी, 470 हिज्री, नाइफ़ गांव, जीलान जिला, इलम प्रान्त,  तबरेस्तान , पर्शिया। देहांत -  इराक़  8 रबी अल अव्वल, 561 हिज्री शहर  बग़दाद ,  (1077–1166 CE), ईरान से थे।    हम्बली  न्यायसूत्र परंपरा और सूफ़ी संत। इनका निवास  बगदाद शहर। इनहोंने  क़ादरिया  सूफ़ी परंपरा की शुरूआत की। सुनी मुसलमानों द्वारा शेख 'अब्द अल-क़दीर अल-जिलानी के रूप में लघु या आदरणीय के लिए अल-जिलानी है, एक सुन्नी हनबाली प्रचारक, वक्ता, तपस्वी, रहस्यवादी, न्यायवादी, और धर्मविज्ञानी थे जो कदिरिया के नामांकित संस्थापक होने के लिए जाने जाते हैं जो सुन्नी सूफीवाद का आध्यात्मिक क्रम था। पैगम्बर हज़रत मुहम्मद सहाब से अपने वंश को इंगित करने के लिए गिलानी को सय्यद का खिताब दिया गया है।. [13]  मुहियुद्दीन नाम उन्हें "धर्म के पुनरुत्थान" के रूप में वर्णित करता है। गिलान (अरबी अल-जिलानी) उनके जन्म स्थान, गिलान को संदर्भित करता है। हालांकि, हज़रत गिलानी ने बगदादी का भी उल्लेख किया।  बगद...

faizanehuzoortajushshariah

  Huzoor Tajush'Shariah Ka Paigham Ahlesunnat Ke Naam Ahlesunnat wa Jamaat Se Umuman Aur Silsilae Qadria Barkatia Razvia Se Wabasta Logo'n Ke Liye Khususan Meri Nasihat Hai Ke Maslake Ahlesunnat wa Jamaat Jis  Ko Pahchan Ke Liye Maslake Aalahazrat Kaha Jata Hai Us Par Mazbooti Se Qaim Rahe'n-  Badmazhabo'n Se Khususan Raafziyo'n, Qaadyaniyo'n, Wahabiyo'n, Deobandiyo'n Aur Sulhe Kulliyo'n Se Apne Aapko Door Rakhe'n, Unki Sohbat Aur Unki Mil Jool Ko Apne Aur Apne Iman Ke Liye Zahre Qat (7) Samjhe'nAap Sab Hazraat Par Sab Se Ahem Farz Iman Wa Aqide Ki Hifazat HaiLehaza Jis Idarah Ya Khanqah, Tanzeem, Wa Tahreek Ya Jis Shakhs Se Aap Ke Iman Jaane Ya Iman Ke Kamzor Hone Ka Khatrah Ho Us Se Door Rahe'nJitne Idare Aur Khanqahe'n, Ulama Wa  Aeimmah Mazhabe Haq Ahlesunnat wa Jamaat Maslake Aalahazrat Par Gaamzan Hai Un Ko Apna Samjhe'n Aur Dil Me Un Ki Azmat Rakhe'n Aur Jo Maslake Aalahazrat Ya Tahqiqate Aalahazrat Se Baghawat Kare U...